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न्यूहाॅलैंड एग्रीकल्चर ने फसल अवषेषों और डंठल जलाने की रोकथाम में कामयाब नए तकनीकी साधन पेष किए


न्यूहाॅलैंड एग्रीकल्चर ने विषेष तकनीकी साधनों की पूरी रेंज़ पेष की जिनसे फसलों के अनुपयोगी हिस्सों को जलाने के पुराने प्रचलन को रोका जा सकता है जिससे भयानक वायु प्रदूषण और उससे जुड़ी स्वास्थ्य की समस्याएं बढ़ती हैं। न्यूहाॅलैंड एग्रीकल्चर की मषीनों जैसे कि ट्रैक्टर, चाॅपर के साथ कम्बाइन हार्वेस्टर, रेक, बेलर, हैपी सीडर, श्रेडो मल्चर और एमबी प्लाऊ के साथ खेतों में बखूबी इस्तेमाल करते हुए किसान फसल कचरे को जलाने के बदले उनका सदुपयोग कर सकते हैं।

न्यूहाॅलैंड ने यह भी प्रदर्षित किया कि किस प्रकार पंजाब के एक गांव में पुआल के तकनीकी प्रबंधन का प्रोजेक्ट लागू किया गया है जिससे फसल के कचरे को जलाने की जरूरत नहीं होगी। फसल कचरा जलने से उत्पन्न धुंए से वायु प्रदूषण का खतरा नहीं रहेगा और पोषक तत्व भी मिट्टी में सुरक्षित रहेंगे जो भावी फसलों के विकास के लिए अनिवार्य हैं। किसानों के लिए धान और अन्य फसलों के अनुपयोगी हिस्सों को एकत्र कर उनका बतौर बायोमास ईंधन इस्तेमाल करते हुए बिजली पैदा करना आसान होगा।

पंजाब के पटियाला जिले के कलर मजरी गांव में पंजाब सरकार के कृषि विभाग ने इन तकनीकियों के प्रयोग को बढ़ावा देने के मकसद से यह प्रोजेक्ट शुरू किया। न्यूहाॅलैंड एग्रीकल्चर अपने सीएसआर प्रोग्राम के तहत इस प्रोजेक्ट से जुड़ गया है। कम्पनी किसानों को पुआल प्रबंधन के लिए सही साधन उपलब्ध करा रही है। साथ ही, जरूरी प्रषिक्षण और प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए तकनीकी सहयोग दे रही है। सीएनएच इंडस्ट्रियल इंडिया के कंट्री हैड और मैनेजिंग डायरेक्टर गैब्रियेले लुकानो ने बताया, ‘‘न्यूहाॅलैंड एग्रीकल्चर 2006 से स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने वाली प्रमुख वैष्विक कम्पनी है जो पर्यावरण प्रदूषण रोकने में अपनी अहम् जिम्मेदारी समझती है। कम्पनी खेतों में फसलों के अवषेषों को जलाने से भारत के उत्तर पूर्व राज्यों में हो रही स्वास्थ्य समस्याओं का निदान चाहती है।’’ पंजाब के कृषि विभाग मंे संयुक्त निदेषक मनमोहन कालिया ने कहा, ‘‘हम अधिक से अधिक किसानों को प्रोत्साहित करते हैं कि वे फसल कटाई के बाद खेत का उपचार मषीन के माध्यम से करते हुए फसलों के अनुपयोगी डंठल का सही प्रबंधन करें। हमें खुषी है कि न्यूहाॅलैंड ने किसानांे के लिए ऐसे तकनीकी साधन पेष किए हैं। पंजाब सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए कलर मजरी को माॅडल गांव बनाया है पर आज यह जरूरी है कि अन्य स्थानों के किसान भी इन मषीनों का लाभ लेते हुए पैदावार बढ़ाएं और वायु प्रदूषण को कम करें।’’

न्यूहाॅलैंड एग्रीकल्चर के सेल्स एवं मार्केटिंग डायरेक्टर, बिमल कुमार ने कहा, ‘‘भारत में 90 प्रतिषत से अधिक धान के पुआल को खेतों में जलाया जाता है। इससे भयानक प्रदूषण होता है जो स्वास्थ्य को नुकसान पहंुचाता है। केवल पंजाब और हरियाणा में लगभग 35 मिलियन टन पुआल और डंठल हर वर्ष जलाया जाता है। लेकिन इस प्रोजेक्ट के शुरू होने के बाद कलर मजरी गांव के 400 एकड़ खेत के 1000 टन डंठल को बेल (गट्ठर में तब्दील) किया गया है और फसल कचरे और डंठल जलाने के चलन को पूरी तरह रोक दिया गया है। हमारे नए साधनों की वजह से किसान पुआल जलाने के बदले उसे बेच कर अपनी आमदनी भी बढ़ा सकते हैं।’’

फसल अवषेषों का सही प्रबंधन न्यूहाॅलैंड के कम्बाइन हार्वेस्टर के साथ शुरू होता है जिसका इस्तेमाल फसल के कचरों की अगली प्रक्रिया के लिए कई इम्प्लीमेंट के साथ किया जा सकता है। स्ट्राॅ चाॅपर का इस्तेमाल कम्बाईन हार्वेस्टर और हैपी सीडर दोनों के साथ कर सकते हैं या चाहें तो श्रेडो मल्चर और हैपी सीडर के साथ कर सकते हैं ताकि कतरे हुए पुआल के टुकड़े (मल्चिंग) जमीन पर रह जाएं। कटाई के बाद पुआल को मिट्टी में मिलाने के लिए श्रेडो मल्चर, एमबी प्लाऊ, रोटावेटर और सीड-ड्रिल का उपयोग कर सकते हैं।

किसानों के लिए सबसे लाभदायक रोटरी स्लैषर, रेक और बेलर की मदद से पुआल एकत्र कर बायोमास चालित विद्युत केंद्रों को बेच देना होगा। एक और विकल्प है किसान स्ट्राॅ स्लैषर, रेक, बेलर, रोटावेटर और सीड ड्रिल का सही तालमेल से प्रयोग करते हुए खेत में फसल कचरे को एकत्र करके उसे अगली फसल के लिए तैयार करें।

श्रेडो मल्चर फसल के डंठलों और कम्बाइन हार्वेस्टर से बच गए ढीले पुआल को काटती, कतरती और मल्च करती है। इससे मिट्टी में नमी और पोषक तत्व सुरक्षित रह जाते हंै और जैविक तत्व बढ़ जाते हैं। कुल मिला कर खेत की भावी पैदावार बेहतर होती है। इसके बाद रिवर्सेबल मोल्ड-बोर्ड (आरएमबी) प्लाऊ से मिट्टी की गहरी जुताई होती है

और कटे भागों को उलटने में आसानी होती है। इससे डंठल, पुआल और खरपतवार अच्छी तरह मिट्टी में मिल जाते हैं। डंठल आदि जल्द सड़ कर मिट्टी में जैविक तत्वों की मात्रा बढ़ाते हैं। इससे जड़ें गहराई में जाती हैं, पौधे बढ़ते हैं और भावी फसल की पैदावार भी बढ़ती है। रोटावेटर जुताई के बाद मिट्टी की तुड़ाई कर बिजाई के लिए खेत को तैयार करने में बहुत सहायक है।

हैपी सीडर की मदद से किसान के लिए उस मिट्टी में भी गेंहूं की सीधी बुवाई आसान होती है जिसमें कम्बाइन हार्वेस्टर ने अपने चाॅपर सिस्टम से डंठल को काट कर छोड़ दिया है। इससे किसान की लागत में कमी आती है, मिट्टी में नमी बनी रहती है और मिट्टी अधिक उपजाऊ हो जाती है।

न्यूहाॅलैंड के आरकेजी 129 जायरो रेक फसल के कचरे को कतार में रखता है ताकि बेलर के लिए इसे उठाना आसान हो। इससे बेलर की क्षमता में 25 से 60 प्रतिषत की वृद्धि देखी गई है। न्यूहाॅलैंड के बीसी 5060 स्क्वाॅयर बेलर का बाजार में दबदबा है। यह लगातार, एक समान घने, सही आकार के बेल बनाता है जिनका रखरखाव आसान होता है। देष में कार्यरत 700 बेलर के साथ न्यूहाॅलैंड को गर्व है कि यह हर वर्ष 1.2 मिलियन टन फसल कचरा जलने से रोकती है।

मशीनों के सदुपयोग से दो फसलों के बीच का समय कम हो जाता है। खेत को साफ करके दुबारा खेती करना आसान होता है, जिससे पैदावार भी बढ़ती है और साथ ही मिट्टी में पोषक तत्व बने रहते हैं और वायु प्रदूषण भी कम होता है। फसल अवषेष पशुओं का चारा बन सकता है या बायोमास प्लांट में इससे बिजली पैदा कर सकते हैं। इसलिए फसल का कचरा भी किसानों के लिए आमदनी का नया जरिया बन सकता है। न्यूहाॅलैंड बायोमास एकत्र करने के साधनों में इंडस्ट्री लीडर है। धान और अन्य फसलों के अनुपयोगी हिस्सों के बायोमास से बिजली पैदा करने में इसकी मषीनें बहुत सहायक हैं। चीनी मिलों में गन्नों के बेकार बचे हिस्सों से भी बिजली के सह-उत्पादन में इसकी मषीनें सहायक हैं। धान के केवल एक सीज़न में न्यूहाॅलैंड के एक बेलर की मदद से लगभग 900 ग्रामीण परिवारों के लिए एक साल के लिए आवष्यक बिजली पैदा की जा सकती है। न्यूहाॅलैंड एग्रीकल्चर का लक्ष्य पूरी दुनिया के किसानों, ठेकेदारों और कृषि व्यवसाय से जुड़े लोगों की मदद करना है ताकि वे पैदावार बढ़ाने के साथ फसल के उत्पादन और कटाई के सभी पहलुओं में अनमोल संसाधनों का बेहतर उपयोग करें।



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